उत्तराखण्ड : परिवहन तंत्र
उत्तराखण्ड का पर्वतीय भू-भाग धरातलीय विषमताओं के कारण यातायात के साधनों के विकास में बाधक है। सड़कों का निर्माण और रख रखाव मैदानी भागों की अपेक्षा काफी खर्चीला है। उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व को देखते हुए सड़क निर्माण पर बल दिया जाने लगा है।
सड़क यातायात
· जटिल भौतिक संरचना के कारण उत्तराखण्ड का लगभग 40% भू-भाग पर अभी तक सड़कों का विकास न हो पाने के बावजूद उत्तराखण्ड के कुल यातायात में सड़क यातायात का भाग 85% से अधिक है।
· उत्तराखण्ड में कुमाऊँ मण्डल की अपेक्षा गढ़वाल मण्डल में सड़कों की संख्या एवं लम्बाई अधिक है।
· उत्तराखण्ड के गठन के समय उत्तराखण्ड में 14 राष्ट्रीय राजमार्ग है। इनकी कुल लम्बाई 2130 किमी. है। जो निम्नलिखित हैः-
राष्ट्रीय राजमार्ग | मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थान | उत्तराखण्ड में लम्बाई (किमी.) |
58 | यू.पी. बार्डर से मंगलौर रूढ़की हरिद्वार ऋषिकेश शिवपुरी देवप्रयाग श्रीनगर खंकरा रुद्रप्रयाग कर्णप्रयाग चमोली जोशीमठ बद्रीनाथ माणा तक | 376.20 |
72 | हिमांचल प्रदेश के बार्डर से धालीपुर सहसपुर झाझरा देहरादून बुल्लावा हरिद्वार तक | 93.20 |
72A | छुटमलपुर-देहरादून तक | 15 |
73 | रूढ़की से भगवानपुर से यू.पी. बार्डर तक | 22 |
74 | हरिद्वार से यू.पी. बार्डर पर चलते हुए जसपुर काशीपुर बाराखेरा रुद्रपुर किच्छा सितारगंज पुनः यू.पी. में | 162 |
87 | यू.पी. बार्डर से रुद्रपुर पंतनगर हल्द्वानी नैनीताल भावली अल्मोड़ा रानीखेत द्वाराहाट गैरसैण आदिबदरी कर्णप्रयाग के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 58 तक | 79 |
94 | ऋषिकेश अमपाता टिहरी चाम धारासू कुथानुर खारसाली यमुनोत्री तक | 217.53 |
108 | धारासू उत्तरकाशी मनेरी भटवारी पुर्गा भैरोघाट गौरीकुण्ड गंगोत्री तक | 124 |
109 | रुदप्रयाग तिवाड़ा गुप्तकाशी केदारनाथ तक | 76 |
119 | यू.पी. बार्डर से कोटद्वार बनघाट बुबाखल पौड़ी श्रीनगर तक | 135 |
121 | काशीपुर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 के जंक्शन से शुरू होकर रामनगर धूमाकोट थलीसैंण त्रिपालीसैंण पाबो पैथाणी बुबाखल के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 119 पर समाप्त | 252 |
123 | हरबतपुर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 72 के जंक्शन से शुरू होकर विकासनगर कालसी बड़वाला नैनबाग नौगांव तक | 95 |
125 | सितारगंज के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 के जंक्शन से शुरू होकर खटीमा टनकपुर चम्पावत पिथौरागढ़ के तवाघाट तक | 201 |
- उत्तराखण्ड का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 है। जिसकी लंबाई 373 किमी. है।
- उत्तराखण्ड का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 72 है। जिसकी लंबाई मात्र 8 किमी. है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58, 87, 94, 108, 109, 125 का जो भाग पर्वतीय क्षेत्र में पड़ता है, के रखरखाव का कार्य सीमा सड़क संगठन के द्वारा किया जाता है।
- हिमालयन हाइवे नाम से बन रही सड़क की लंबाई उत्तराखण्ड में त्यूनी, देहरादून से लोहाघाट तक 659 किमी. है।
- उत्तराखण्ड के आन्तरिक परिवहन मार्ग में लोक निर्माण विभाग के नियंत्रण में 21,106 किमी. की लंबाई तक का मार्ग है। इसके अतिरिक्त अन्य निकायों के 2330 किमी. तथा अन्य विभागों के नियंत्रण में 7316 किमी. मार्ग है।
- गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन लिमिटेड की स्थापना 1941 में कोटद्वार(पौड़ी) में हुई थी। इसका एक कार्यालय ऋषिकेश में भी है।
- कुमाऊं मोटर ऑनर्स यूनियन लिमिटेड की स्थापना सन् 1939 में काठगोदाम में हुई थी। इसका कार्यालय रामनगर तथा टनकपुर में है।
- कौसानी-ग्वालमदम-तपोवन पैदल मार्ग को कर्ज़न ट्रेल मार्ग भी कहा जाता था। लोहाजंग पास इसी मार्ग का एक पड़ाव था।
- हरिद्वार-चिल्लरखाल-कोटद्वार-पाखरो-रामनगर तक जाने वाले कण्डी मार्ग(90 किमी लम्बा) से कुमाऊ व गढ़वाल की दूरी 85 किलोमीटर कम हो जाएगी।
· उत्तराखण्ड में रेलवे लाइन की कुल लम्बाई 344.91 किमी. (283.76 किलोमीटर बड़ी लाइन व 61.15 किलोमीटर छोटी लाइन) है।
· उत्तराखंड राज्य के 6 जिलों (हरिद्वार, देहरादून, पौडी, उधम सिंह नगर, नैनीताल और चंपावत) में रेल लाइन बिछाई गई है।
· राज्य की पहली रेल लाइन काठगोदाम से किच्छा है जो 1884 से सेवारत है
· देहरादून रेलवे स्टेशन मार्च 1900 में स्थापित किया गया। यह उत्तर रेलवे का सबसे आखिरी रेलवे स्टेशन है।
· उत्तराखंड राज्य में कुल 42 रेल स्टेशन है।
· सर्वाधिक रेल ट्रैक वाला जिला-हरिद्वार
· सबसे कम रेल ट्रैक वाला जिला- पौड़ी गढ़वाल
· हरिद्वार-देहरादून रेलमार्ग राजाजी नेशनल पार्क के मध्य से होकर गुजरती है।
· देहरादून, रायवाला, ऋषिेकेश, हरिद्वार, रूढ़की, काशीपुर, रामनगर, रूद्रपुर, किच्छा, लालकुँआ, हल्द्वानी, काठगोदम तथा टनकपुर आदि राज्य के प्रमुख रेलवे स्टेशन है। जिनसे यात्री व माल का परिवहन होता है।
· वर्ष 2000 के ‘मॉडल स्टेशन, देहरादून रेलवे स्टेशन को साफ-सफाई अच्छी यात्रा सुविधाएं के व्यवस्था हेतु सितम्बर, 2003 में I.S.O. का दर्जा प्रदान किया गया। यह दर्जा पाने वाला राज्य का पहला स्टेशन है।
11 जनवरी से बहुप्रतिक्षित ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पहले स्टेशन योगनगरी ऋषिकेश का दो रेल सेवाओं जम्मूतवी और प्रयागराज एक्सप्रेस का संचालन शुरू हो गया इसके अलावा दो उदयपुर सिटी आज से और हावड़ा एक्सप्रेस 14 जनवरी से संचालन शुरू हो गया।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी रेल लाइन 17 सुरंगों से होकर गुजरेगी। कुल मिलाकर 104 किमी की दूरी ट्रेन को सुरंग में ही तय करनी पड़ेगी। पौड़ी जिले में पड़ने वाले जनासू स्टेशन तक 14.5 किमी लंबी डबल ट्यूब सुरंग बनाई जानी हैं।
नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल चारधाम रेल प्रोजेक्ट कई मायनों में खास है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी रेल लाइन 17 सुरंगों से होकर गुजरेगी। कुल मिलाकर 104 किमी की दूरी ट्रेन को सुरंग में ही तय करनी पड़ेगी। इसी क्रम में देवप्रयाग से पौड़ी जिले में पड़ने वाले जनासू स्टेशन तक 14.5 किमी लंबी डबल ट्यूब सुरंग (दो अलग-अलग सुरंग) बनाई जानी हैं। यह देश की सबसे लंबी सुरंग होगी। अब तक सबसे लंबी सुरंग जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल में है। इसकी लंबाई 11.2 किमी है।
देश की सबसे लंबी पांच रेल सुरंग
§ पीर पंजाल (जम्मू-कश्मीर)-11.2 किमी
§ कार्बूड (महाराष्ट्र)- 6.506 किमी
§ नाथूवाड़ी (महाराष्ट्र)- 4.389 किमी
§ टाइक (महाराष्ट्र)- 4.07 किमी
§ बेरडेवाड़ी (महाराष्ट्र)- चार किमी
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर बन रही सुरंगें
§ ढालवाला से शिवपुरी- 10.8 किमी
§ शिवपुरी से गुलर- 6.4 किमी
§ गूलर से व्यासी- 6.7 किमी
§ व्यासी से कौडियाला- 2.2 किमी
§ कौडियाला से बागेश्वर- 9.7 किमी
§ राजचौरा (गंगा पार) से पौड़ी नाला- 220 मीटर
§ पौड़ी नाला से देवप्रयाग, 1.2 किमी
§ देवप्रयाग से जनासू- 14.5 किमी
§ लछमोली से मलेथा- 2.8 किमी
§ मलेथा से श्रीनगर- 4.1 किमी
§ श्रीनगर से धारी- 9.0 किमी
§ धारी से नरकोटा- 7.0 किमी
§ नरकोटा से तिलानी- 9.4 किमी
§ तिलानी से घोलतीर- 6.4 किमी
§ घोलतीर से गोचर- 7.1 किमी
§ रानो से सिवाई- 6.4 किमी
§ सिवाई से कर्णप्रयाग - 200 मीटर
हवाई यातायात
जिला | हवाई-अड्डा |
देहरादून | जोली ग्रांट |
उधमसिंह नगर | पंतनगर (फूल बाघ) |
पिथौरागढ़ | नैनी सैनी |
चमोली | गोचर |
उत्तरकाशी | चिन्यालीसौड़ |
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