विधानसभा


भारतीय संविधान के अनुसार विधानसभा की अवधि 5 वर्ष नियत की गई है. 5 वर्ष के बाद पुनः आम चुनाव होता है. राज्य के राज्यपाल को यह अधिकार प्राप्त है कि वह विशेष परिस्थिति में इससे पूर्व भी विधानसभा विघटित कर सकता है। 

भारतीय संसद को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वह आपातकाल में विधानसभा के जीवनकाल को एक समय में एक वर्ष के लिए बढ़ा सकती है परन्तु आपातकालीन स्थिति की समाप्ति के बाद 6 महीने के अन्दर उसका विघटन अवश्य हो जाना चाहिए.

विधान सभा के सत्रावसान के आदेश राज्यपाल के द्वारा दिये जाते है।

राज्य के राज्यपाल को विधानसभा का अधिवेशन बुलाने का अधिकार होता है और वह यह कार्य मुख्यमंत्री की सलाह से करता है. विधानसभा में कोई भी निर्णय सदस्यों के बहुमत द्वारा किया जाता है. गणपूर्ति के लिए कुल सदस्यों का 1/10 भाग सदन में होना आवश्यक है.

सदन की गणपूर्ति या कोरम के लिए कुल सदस्यों का 1/10 भाग सदन में होना आवश्यक है.

विधान सभा के सदस्य की योग्यताएं
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. वह 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
3. ऐसी अन्य योग्यताएं रखता हो जो संसद के किसी कानून द्वारा निश्चित की जाए।

राज्यों में विधानसभा सीटें

क्र0सं0

राज्य

विधानसभा सीट

विधान परिषद के सदस्य

1.

उत्तर प्रदेश

403

99

2.

पश्चिम बंगाल

294

--

3.

महाराष्ट्र

288

78

4.

बिहार

243

75

5.

तमिलनाडू

234

--

6.

मध्य प्रदेश

230

--

7.

कर्नाटक

224

75

8.

राजस्थान

200

--

9.

गुजरात

182

--

10.

आंध्र प्रदेश

175

50

11.

ओडिशा

147

--

12.

केरल

140

--

13.

असम

126

--

14.

तेलंगाना

119

40

15.

पंजाब

117

--

16.

हरियाणा

90

--

17.

छत्तीसगढ़

90

--

18.

झारखण्ड

81

--

19.

उत्तराखंड

70

--

20.

हिमाचल प्रदेश

68

--

21.

मणिपुर

60

--

22.

मेघालय

60

--

23.

त्रिपुरा

60

--

24.

अरूणाचल प्रदेश

60

--

25.

नागालैण्ड

60

--

26.

मिजोरम

40

--

27.

गोवा 

40

--

28.

सिक्किम

32

--


केन्द्र शासित प्रदेश

 

1.

दिल्ली

70

--

2.

पुडुचेरी

30

--

3.

जम्मू और कश्मीर

114

--

नोट-प्रत्येक राज्य की विधानसभा में कम से कम 60 और अधिक से अधिक 500 सदस्य होते है। अपवाद-गोवा(40) मिजोरम(40) सिक्किम (32) को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष राज्य का दर्जा देकर यह व्यवस्था की गयी है। 

विधान सभा के अधिकार और कार्य

वित्तीय शक्तियां

  • विधानसभा का राज्य के वित्त पर नियंत्रण होता है| वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से पहले राज्य का वार्षिक बजट भी इसी के सामने प्रस्तुत किया जाता है | जिसमें शासन की आय और व्यय का विवरण रहता है। बजट वित्त मंत्री द्वारा रखा जाता है।
  • विधानसभा की स्वीकृति के बिना राज्य सरकार न कोई कर लगा सकती है और ना ही कोई पैसा खर्च कर सकती है विधानसभा में पास होने के बाद धन विधेयक विधान परिषद के पास भेजा जाता है जो उसे अधिक से अधिक 14 दिन तक पास होने से रोक सकती है|
  • विधानसभा धन विधेयक को पारित कर देती है तब वह विधानसभा परिषद के पास भेज दिया जाता है। विधान परिषद को 14 दिनों के भीतर विधान सभा को लौटाना पड़ता है। विधान परिषद उस विधेयक के संबंध में संस्तुतियों तो दे सकती है, किन्तु वह न तो उसे अस्वीकार कर सकती और न उसमें संशोधन कर सकती है। 
  • विधान परिषद चाहे धन विधेयक को रद्द करें या 14 दिन तक उस पर कोई कार्यवाही ना करे तो भी वह दोनों सदनों द्वारा पास समझा जाता है और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है जिसे धन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है राज्यपाल धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता है | 

संवैधानिक कार्य

  • संघीय स्वरूप को प्रभावित करने वाला कोई संविधान संशोधन विधेयक यदि संसद के दोनों सदनों के द्वारा पारित हो जाता है, तो आधे से अधिक राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है। 
  • राज्य विधानसभा को संविधान में संशोधन करने का कोई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है| संशोधन करने का अधिकार संसद को ही प्राप्त है, परंतु संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद हैं जिनमें संसद अकेले संशोधन नहीं कर सकती है | 

निर्वाचन संबंधी कार्य

  • विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार है यह अधिकार विधान परिषद को प्राप्त नहीं है|
  • विधानसभा के सदस्य की राज्यसभा में राज्य के प्रतिनिधियों को चुनकर भेजते हैं राज्य विधानसभा के सदस्य अपने में से एक को अध्यक्ष तथा किसी दूसरे को उपाध्यक्ष चुनते हैं|
  • विधान सभा के सदस्य विधान परिषद के   सदस्यों को चुनते हैं| 

कार्यपालिका पर नियंत्रण

  • विधान परिषद को कार्यकारी शक्तियां मिली हुई है विधानसभा का मंत्री परिषद पर पूर्ण नियंत्रण है मंत्री परिषद अपने समस्त कार्य व नीतियों के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदाई है विधानसभा के सदस्य मंत्रियों की आलोचना कर सकते हैं प्रश्न और पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं|
  • विधानसभा चाहे तो मंत्रिपरिषद को हटा भी सकती है विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके अथवा धन विधेयक को अस्वीकृत करके तथा मंत्रियों के वेतन में कटौती करके अथवा सरकार के किसी महत्वपूर्ण विधेयक को अस्वीकृत करके मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देने के लिए मजबूर कर सकती है| जब कभी मंत्रिपरिषद के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो समूची मंत्रिपरिषद को त्याग पत्र देना पड़ता है|

विधि निर्माण 

  • इसे राज्य सूची से संबंधित विषयों पर विधि निर्माण का अनन्य अधिकार प्राप्त है।
  • समवर्ती सूची से सम्बद्ध विषयों पर संसद की तरह राज्य विधान मण्डल भी विधि निर्माण कर सकता है, किन्तु यदि दोनो द्वारा निर्मित्त विधियों में परस्पर विरोध की सीमा तक संसदीय विधि वरणीय है। 

विधानसभा का अध्यक्ष 

विधानसभा के कार्य को भली प्रकार से संचालित करने के लिए एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का प्रावधान संविधान में है. विधानसभा का स्पीकर या अध्यक्ष विधानसभा के निर्माण के बाद होने वाले उसके प्रथम सत्र में ही विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुना जा सकता है. अध्यक्ष के अतिरिक्त विधानसभा के सदस्य उपाध्यक्ष का चुनाव भी करते हैं. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष, अध्यक्ष का कार्यभार संभालता है.

विधानसभा का अध्यक्ष मुख्य कार्य :-

1.  किसी विधेयक को धन विधेयक माना जाए अथवा नही इसका निर्णय विधान सभा अध्यक्ष ही करता है। 

2.  सदन में अनुशासन बनाए रखना

3.  सदन की कार्यवाही का सुचारू रूप से संचालित करना

4.  सदस्यों को बोलने की अनुमति प्रदान करना

5.  विधान सभा अध्यक्ष सदन में मतदान नही करता किन्तु यदि सदन में मत बराबरी में बंट जाए तो वह निर्णायक मत देता है। 

6.  किसी भी प्रश्न, प्रस्ताव या संकल्प को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार।

7.  सभी समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति तथा उनके कार्यों का निरीक्षण।

8.  सदन की गणपूर्ति या कोरम(1/10) के अभाव में सदन को स्थगित करने का अधिकार।

नोट- जब कभी अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन हो, उस समय वह सदन की बैठको की अध्यक्षता नही करता है।  

विधान परिषद एवं विधानसभा की तुलना (Comparison of Legislative Council and Assembly)

क्र0सं0

विधानपरिषद (Legislative Council)

विधानसभा (Assembly)

1

विधानपरिषद राज्य विधानमंडल का उच्च सदन अथवा द्वितीय सदन होता है|

विधानसभा राज्य विधानमंडल का निम्न सदन अथवा प्रथम सदन होता है|

2

विधानपरिषद के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर होता है|

विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रुप से पूर्व वयस्क मताधिकार के आधार पर साधारण बहुमत की पद्धति द्वारा होता है|

3

विधानपरिषद के स्थाई निकाय है जिसका विघटन नहीं किया जा सकता परंतु एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष की समाप्ति के बाद सेनानिवृत हो जाते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित हो जाती है इनके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है|

विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परंतु कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व मुख्यमंत्री के परामर्श पर राज्यपाल द्वारा इसे भंग किया जा सकता है|

4

विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या की एक तिहाई होती है, परंतु वह 40 से कम किसी अवस्था में नहीं हो सकती|

विधान सभा के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 500 तथा कम से कम 60 हो सकती है|

5

विधानपरिषद राज्य के कुछ विशेष वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है|

विधानसभा की समस्त जनता का प्रतिनिधित्व करती है|

6

राज्य की मंत्रिपरिषद के प्रति उत्तरदाई नहीं होती|

राज्य की मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होती है|

7

विधानपरिषद में मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत नहीं किया जा सकता| वह मंत्री परिषद के कार्यों की जांच आलोचना ही कर सकती है, जो प्रश्न एवं पूरक प्रश्न पूछ कर तथा स्थगन प्रस्ताव द्वारा किया जाता है |

विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत कर सकता है|

8

धन विधेयक विधानपरिषद में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता|

धन विधेयक केवल विधानसभा में प्रस्तावित किया जा सकता है|

9

विधानपरिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य नहीं होते है| अर्थात विधान परिषद राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं |

विधानसभा के सभी निर्वाचित और राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं| अर्थात विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ले सकते हैं |

 


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