उत्तराखण्ड का भूगोल एवं भौगोलिक विभाजन – Geography and geographical division of Uttarakhand



उत्तराखण्ड  भौगोलिक विभाजन

1.     गंगा का मैदानी क्षेत्र

2.      तराई क्षेत्र

3.      भाबर क्षेत्र

4.      शिवालिक क्षेत्र

5.      दून क्षेत्र (द्वार)

6.      लघु (मध्यहिमालयी क्षेत्र

7.      वृहत हिमालयी क्षेत्र

8.      ट्रांस हिमालयी क्षेत्र

 

 

गंगा  का मैदानी क्षेत्र –

  • दक्षिण हरिद्वार ( रुड़की,लक्सरमें विस्तृत। महीन बारीक बालू से निर्मित।
  • फसल- गन्नागेहूं,धान
  • उपजाऊ मृदा-(कॉप मृदा या जलोढ मृदा)- अधिकांश मात्रा में उपलब्ध।
  • पुरानी जलोढ मृदा –  बांगर
  • नयी जलोढ मृदा – खादर

 

तराई क्षेत्र –


  • हरिद्वार में गंगा के मैदान के तुरन्त उत्तर का क्षेत्र, पौड़ी गढ़वाल  नैनीताल के दक्षिणी क्षेत्र, उधम सिंह नगर
  • चौड़ाई – 20 से 30 किमी
  • इस क्षेत्र में पातालतोड़ कुएं (Artision Wells) पाये जाते हैं।
  • तराई क्षेत्र नदियों द्वारा लाये महीन बारीक बालू से निर्मित है।
  • फसले – धानगन्नागेहूंआलू 
  • प्रमुख स्थल – रुद्रपुर,सितारगंजबाजपुरकाशीपुर,खटीमा


भाबर क्षेत्र –

  • तराई क्षेत्र के तुरन्त उत्तर तथा शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिण 10 से 12 कीमी चौड़े क्षेत्र को भाबर कहते हैं।
  • इस क्षेत्र की भूमि उबड़-खाबड़ और मिट्टी  कंकड़पत्थर तथा मोटे बालू से युक्त होती है।
  • इस क्षेत्र का निर्माण प्लीस्टोनीन युग का माना जाता है।
  • इस क्षेत्र की मिट्टी कृषि के लिए अनउपयुक्त है।
  • विस्तार- देहरादून से चपावत


शिवालिक क्षेत्र –


  • भाबर के उत्तर में स्थित पहाड़ियो को शिवालिक कहा जाता है। इसे वाह्य हिमालय या हिमालय का पाद भी कहा जाता है।
  • इस पर्वत श्रेणी को ” मैनाक श्रेणी “ कहा जाता है। इनके अन्य नाम हिमालय के गिरिपद है।
  • चौड़ाई-10 से 20 किमी
  • ऊचाई700 से 1200 मीटर
  • यह श्रेणी हिमालय का सबसे नवीन भाग है।
  • इसका निर्माण काल मायोसीन से निम्न प्लाइस्टोसीन तक माना जाता है।
  • विस्तार-इसका विस्तार 7 जिलो (देहरादून,हरिद्वारटिहरी,पौड़ी,अलमोड़ा,नैनीताल,चंपावतमें है
  • नदियों के प्रवाह के कारण यह क्षेत्र लगातार  होकर खंडित आवस्था में फैला हुआ हैजिसके कारण  गहरी घाटियों का निर्माण हुआ।
  • सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र यही है।
  • प्रमुख वनशीशम , सेलम , आवला,बांस,सागौन,साल ( निचले क्षेत्रों में )
  • देवदार,बेंत , बुरांश,चीड़  ( ऊचे क्षेत्रों में)
  • प्रमुख खनिज – चूना पत्थर ,फास्फेटिकशैलजिप्समसंगमरमर 
  • यह श्रेणी हिमायल का सबसे नवीन भाग है। 1.75 लाख से 3 करोड़ वर्ष पुरना है।
  • जीवाश्म पाए जाते है।



दून क्षेत्र (द्वार) –

  • शिवालिक तथा मध्य हिमालय के बीच का क्षेत्र
  • चौड़ाई- 24 से 32 कीमीऊचाई- 350 से 750 मी.
  • देहरा (देहरादून), कोठारी  चौखम (पौड़ी), पतली  कोटा (नैनीतालआदी प्रमुख दून हैं।
  • औसत वार्षिक वर्षा – 200 से 500 सेंटीमीटर
  • प्रमुख वनचीड़देवदार,ओकऊचे क्षेत्रों में)
  • शीशम , सेमलआवला ,  साल निचले क्षेत्रों में)
  • खनिज – चूना पत्थर
  • प्रमुख नदिया – आसन , सुसवा

  

लघु (मध्यहिमालयी क्षेत्र-


  • यह पर्वत श्रेणी शिवालिक के उत्तर तथा वृहत हिमालय के दक्षिण चम्पावतनैनीतालअल्मोड़ापौड़ीचमोलीरूद्रप्रयागटिहरीउत्तरकाशी तथा देहरादून आदी 9 जिलो में विस्तृत है।
  • ऊंचाई – 1200 से 4500 मीचौड़ाई- 70 से 100 किमी
  • लघु हिमालय के अर्न्तगत चमोलीपौड़ी तथा अल्मोड़ा जिलो के मध्ल फैले दूधातोली श्रृंखला को उत्तराखण्ड का पामीर कहा जाता है।
  • इस क्षेत्र में शीतोष्ण कटिबंधीय सदाबहार प्रकार के कोणधारी सघन वन मिलते है।
  • यहाँ के पर्वत वलित प्रकार के होते हैजो की कायांतरित चट्टानों से निर्मित है।
  • प्रमुख खनिज – ताँबाग्रेफाइटजिप्सम,मैग्नेसाइट आदि पाए जाते है।
  • नदियाँसरयू ,अलकनंदा,पश्चिमी राम गंगानयार आदि है।
  • इस क्षेत्र की अलकनंदा नदी घाटी-ज्वार,चुआ के लिए प्रसिद्ध है।
  • अल्मोड़ा नदी घाटी – मक्का के लिए प्रसिद्ध है
  • प्रमुख झीले –भीमतालनौकुचियातालसाततालखुर्पातालसूखाताल , पूनाताल,नैनीताल,सरियाताल आदि है।
  • औसत वार्षिक वर्षा160 से 200 सेंटीमीटर
  • इस क्षेत्र के निचले भागो में घास के मैदान,बुग्यालमर्ग(कश्मीर में – गुलमर्गसोनमर्गटनमर्ग ), पयार,थचकुल्लू)
  • प्रमुख पठार- देववन,मसूरी,रानीखेतबिनसरसुरकुंडादूधातोलीलोखंडीटिब्बा,लालटिब्बा
  • नदियों का संगम – पश्चिमी राम गंगा(सबसे बड़ी), आरागाड़,पूर्वी न्यारपश्चीमी न्यार
  • 1960 में  गढ़वाली जी ने जवाहर लाल  जेहरू से  दूधातोली (गैरसैण) को देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की माँग की।
  • भारत की सबसे  ऊचि चोटी- 1. K2(काराकोरम पर्वत श्रंखला2. कंचनजंघा(हिमालय पर्वत श्रंखला ) 3. नंदा देवी पश्चीमी (हिमालय पर्वत श्रंखला )

 

 

वृहत (उच्चहिमालयी क्षेत्र-

 

  • यह क्षेत्र लघु हिमालय के उत्तर  ट्रांस हिमालय के दक्षिण में स्थित है
  • वर्ष भर बर्फ़ से ढका रहने के कारण इन्हें हिमाद्री भी कहा जाता है। इन पर्वतो की ऊचाई – 4500 से 7817 मीटर तक है
  • इनका विस्तार – उत्तरकाशी , टिहरीरुद्रप्रयागचमोलीबागेश्वर , पिथौरागढ़ से होता है
  • इन पर्वतो की चौड़ाई – 15 किमी से 30 किमी तक है
  • इस क्षेत्र में विशाल हिमनद /ग्लेशियर पाए जाते हैजो राज्य की सभी प्रमुख नदियों के उद्गम स्रोत है।
  • इन चोटियों में 12000 फिट से ऊपर कोई वनस्पति नहीं है।
  • इन चोटियों में 12000 से 10000 फिट की ऊचाई में कुछ घास तथा झाड़ियाँ पाई जाती है।
  • 10000 फिट से निचे बुग्वाल या घास के मैदान पाए जाते है। प्रसिद्ध फूलो की घाटी यही स्थित है।
  • यहाँ की चट्टानें 130 से 140 करोड़ वर्ष पुरानी मानी जाती है।
  • इस क्षेत्र में ग्रेनाइटनीस चट्टानेंरूपांतरितअवसादी चट्टानें पायी जाती है।
  • इस क्षेत्र के मूल निवासी भोटिया तथा उनकी उपजातियाँ जाड़मारछातोलछा (भागीरथी-अलकनंदा घाटीशौका , जोहार (धौली-गौरी -काली नदी घाटी) निवास करते है।
  • इन क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतू की रुड़ी या खर्साऊ कहा जाता है। शीत ऋतू को शीतकला या स्यूंद कहा जाता है।वर्षा ऋतू को चौमास या बसगाल कहा जाता है।
  • इस क्षेत्र में वर्षा सबसे कम होती है। यहाँ 40 से 80 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। यहाँ वर्षा बर्फ़ के रूप में होती है।
  • इन क्षेत्रों में चीड़सालसागौन के वन पाए जाते है। 

वृहत हिमालय की प्रमुख चोटियां

·         नंदादेवी (चमोली) – 7817 मी.

·         कामेट (चमोली) – 7756 मी.

·         नंदादेवी पूर्वी (चमोली-पिथौरागढ़) – 7434 मी.

·         माणा (चमोली) – 7272 मी.

·         बद्रीनाथ (चमोली) -7140 मी.

·         पंचाचूली (पिथौरागढ़) – 6904 मी.

·         श्रीकंठ (उत्तरकाशी) – 6728 मी.

·         नन्दाकोट (चमोली-पिथौरागढ़) – 6861 मी.

·         नंदाधुगटी (चमोली) – 6309 मी.

·         गंधमाधन (चमोली) – 6984 मी.

·         त्रिसूल (चमोली) – 7120 मी.

  

ट्रांस हिमालयी क्षेत्र-


  • यह महाहिमालय के उत्तर में स्थित है।
  • इसका कुछ भाग भारत में और कुछ चीन में है।
  • ऊंचाई – 2500 से 3500 मी. इनकी चौड़ाई 20 से 30 किमी की है।
  • इस क्षेत्र की पर्वत श्रेणीयो को जैक्सर श्रेणी कहा जाता है।
  • यहाँ के प्रमुख दर्रे –जेलखणा,माणा,नीति , चोरहोती , दमजमशलशलाकिंगरी बिंगरीदारमा आदि है

 

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