प्रोटीन

प्रोटीन की खोज एक डच रसायनज्ञ Gerhardus Johannes Mulder ने 1837 में की थी। हालांकि, प्रोटीन का नाम जे0 बर्जेलियस द्वारा दिया गया है। प्रोटीन शरीर के प्रत्येक भाग में उपस्थित होते है तथा शरीर का मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक आधार बनाते है। यह शरीर की वृद्धि एवं मरम्मत के लिए आवश्यक है। यह एक जटिल कार्बनिक यौगिक है, जो 20 अमीनो अम्ल से मिलकर बने होते है। सभी प्रोटीन में नाइट्रोजन पाया जाता है। मानव शरीर का 15 प्रतिशत भाग प्रोटीन से मिलकर बना है। 

प्रोटीन तीन प्रकार के होते हैः-

(1)सरल प्रोटीन-सरल प्रोटीन वे प्रोटीन है जो अमीनो अम्ल से निर्मित्त होते है। एल्ब्यूमिन्स, हिस्टोन एवं ग्लोब्यूलिन्स इसके उदाहरण है।

(2)संयुक्त प्रोटीन-संयुक्त प्रोटीन पे प्रोटीन है जिनके अणुओं के साथ समूह भी जुडे रहते है। ग्लाइकोप्रोटीन एवं कोमोप्रोटीन इसक उदाहरण है।

(3)व्युत्पन्न प्रोटीन-व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन है जो प्राकृतिक प्रोटीन के जलीय अपघटन से बनते है। पेप्टोन, पेप्टाइड एवं प्रोटिअन्स इसके उदाहरण है। 

प्रोटीन के कार्यः-

1. आश्यकतानुसार शरीर को ऊर्जा देती है।

2. आनुवंशिक लक्षणों के विकास को नियंत्रित करती है।

3. शरीर वृद्धि के लिए आवश्यक है। 

4. ये कोशिकाओे, जीवद्रव्य एवं उत्तकों के निर्माण में भाग लेते है।

प्रोटीन की कमी से बच्चों में क्याशियोर्कर (पेट बाहर आने के साथ हाथ पाँव दुबले होते है)एवं मरास्पस रोग (बच्चो की मांसपेशियां ढीली हो जाती है)होते है। 



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